लोग क्यों नहीं लेते बीमा? - एक सोच जो लोगों को नुकसान पहुँचा (गरीब बना )रही है, Why don't people buy insurance? - A mindset that is hurting (making) people poor

भारत के गाँवों में आज भी बहुत सारे लोग बीमा को सिर्फ एक कागज़ का टुकड़ा मानते हैं। उनके मन में ये धारणा है कि बीमा सिर्फ अमीरों के लिए है या फिर ये कि बीमा कंपनियाँ धोखा देती हैं। यह सोच केवल ग़लत नहीं बल्कि नुकसानदायक भी है। आज जब ज़िन्दगी में अनिश्चितताएँ बढ़ रही

 हैं, तब बीमा न लेना खुद को और अपने परिवार को जोखिम में डालने जैसा है। आइए एक ग्रामीण सोच वाले लड़के की तरह सोचते हुए इस विषय को गहराई से समझें।

Bhaishmundiyan Hitesh 


1. बीमा क्या है, और क्यों ज़रूरी है?

बीमा का मतलब है - सुरक्षा। जैसे किसान अपने खेत की रखवाली करता है ताकि फसल सुरक्षित रहे, वैसे ही बीमा हमारी ज़िन्दगी, स्वास्थ्य, संपत्ति और भविष्य की सुरक्षा करता है। मान लीजिए कि कोई किसान अचानक बीमार पड़ जाए और इलाज के पैसे न हों, तो वो कर्ज में डूब सकता है। लेकिन अगर उसके पास स्वास्थ्य बीमा हो, तो इलाज मुफ्त या बहुत कम पैसे में हो सकता है।

बीमा हमें आर्थिक रूप से मजबूत बनाता है। यह हमारी मेहनत की कमाई को बर्बाद होने से बचाता है।


2. लोग बीमा क्यों नहीं लेते? - ग्रामीण सोच और असली कारण

i. "हमें कुछ नहीं होगा" वाली मानसिकता: गाँवों में लोग मानते हैं कि उनके साथ कुछ बुरा नहीं होगा। वे सोचते हैं कि बीमारी, दुर्घटना, या मौत तो दूसरों को होती है। यह सोच अज्ञानता और अनुभव की कमी से उपजती है।

ii. बीमा का सही ज्ञान नहीं होना: ज्यादातर लोग नहीं जानते कि बीमा कैसे काम करता है। उन्हें लगता है कि ये सिर्फ पैसे वसूलने की योजना है। बीमा एजेंट भी कई बार सही जानकारी नहीं देते या जबरदस्ती पालिसी बेचने की कोशिश करते हैं।

iii. भरोसे की कमी: गाँवों में आज भी बीमा कंपनियों पर भरोसा नहीं है। लोग सोचते हैं कि पैसे देने के बाद क्लेम नहीं मिलेगा या कंपनी भाग जाएगी।

iv. पैसे की कमी: कई बार लोग बीमा का प्रीमियम देने में असमर्थ होते हैं। उनका सोचना होता है कि जब पेट भरने के लाले पड़े हैं, तब बीमा कहाँ से करें?

v. बीमा को निवेश नहीं मानना: लोग बीमा को खर्च मानते हैं, निवेश नहीं। उन्हें यह समझ नहीं आता कि बीमा एक ऐसी चीज़ है जो भविष्य में बड़ी मुसीबत से बचा सकती है।


3. बीमा न लेने के नुकसान - गाँव के उदाहरणों से

कहानी 1: रामू किसान रामू के पास 2 एकड़ जमीन थी। उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और इलाज के लिए 1.5 लाख रुपये का खर्च आया। बीमा नहीं होने के कारण उसे जमीन बेचनी पड़ी। अगर उसके पास स्वास्थ्य बीमा होता, तो उसकी जमीन बच सकती थी।

कहानी 2: शिवा मोटरसाइकिल दुर्घटना शिवा गाँव का मेहनती लड़का था। उसने कुछ पैसे जमा करके बाइक खरीदी थी। एक दिन एक्सीडेंट हो गया और बाइक टूट गई, साथ ही उसको गंभीर चोट आई। उसके पास न हेल्थ इंश्योरेंस था, न बाइक का। परिवार पर कर्ज चढ़ गया।

कहानी 3: सुरेश की असमय मृत्यु सुरेश शहर में मजदूरी करता था। अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। घर में बूढ़े माता-पिता और दो छोटे बच्चे थे। बीमा नहीं होने से परिवार दर-दर भटकने लगा। अगर टर्म इंश्योरेंस होता, तो उसके परिवार को कुछ आर्थिक सहायता मिल जाती।


4. बीमा के लाभ - जो हर ग्रामीण को समझने चाहिए

  • स्वास्थ्य बीमा: अस्पताल में भर्ती होने पर खर्च नहीं करना पड़ता या बहुत कम पड़ता है।
  • जीवन बीमा: मृत्यु होने पर परिवार को आर्थिक सहायता मिलती है।
  • फसल बीमा: फसल खराब होने पर मुआवजा मिलता है।
  • वाहन बीमा: गाड़ी दुर्घटना में नुकसान की भरपाई होती है।
  • पेंशन बीमा: बुढ़ापे में पेंशन मिलती है, जिससे आत्मनिर्भरता बनी रहती है।

5. सही बीमा कैसे चुनें?

  • जरूरत के हिसाब से पालिसी चुनें: अगर आपके परिवार में बुजुर्ग हैं तो स्वास्थ्य बीमा ज़रूरी है। अगर आप कमाने वाले अकेले सदस्य हैं तो जीवन बीमा प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • सरकारी योजनाओं का लाभ लें: प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसे स्कीम बहुत ही कम प्रीमियम में बीमा उपलब्ध कराते हैं।
  • बीमा एजेंट से सही जानकारी लें: किसी भी पालिसी को लेने से पहले उसके नियम, क्लेम प्रक्रिया, कवरेज आदि अच्छे से समझें।
  • ऑनलाइन भी जानकारी लें: आजकल मोबाइल में इंटरनेट है, तो IRDAI की वेबसाइट या बीमा कंपनियों के वेबसाइट से सही जानकारी ली जा सकती है।


6. बीमा को लेकर सोच बदलने की ज़रूरत

बीमा को बोझ नहीं, बचत और सुरक्षा मानिए। जिस तरह किसान बीज बोने से पहले खेत तैयार करता है, वैसे ही एक समझदार इंसान अपने भविष्य की तैयार करता है। बीमा उसी तैयारी का हिस्सा है।

जो लोग आज बीमा को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, वे भविष्य में पछता सकते हैं। इसलिए समय रहते बीमा लें और अपने परिवार को सुरक्षित करें।


7. निष्कर्ष:

गाँव में जागरूकता की बहुत ज़रूरत है। बीमा केवल कागज नहीं, एक ढाल है जो मुसीबत आने पर काम आती है। हर ग्रामीण को ये समझना होगा कि बीमा न लेना एक बहुत बड़ी चूक है। हमें खुद भी जागरूक बनना है और दूसरों को भी जागरूक करना है।

अंत में यही कहना चाहूँगा:

आज बीमा लिया तो कल चिंता नहीं होगी। आज बचाया, तो कल संवार पाएँगे।

बीमा को समझिए, अपनाइए और ज़िन्दगी को सुरक्षित बनाइए।

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